नई तकनीक से असंक्रमित बीमारियों की रोकथाम में मिली मदद

स्वास्थ्य प्रबंधन, चुनौतियों एवं नवाचार पर आयोजित चार दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन
DSC_7491DSC_7438DSC_7484जयपुर। फार्मास्युटिकल उद्योग की नई खोजों एवं आधुनिक तकनीक से असंक्रमित बीमारियों की रोकथाम में काफी मदद मिली है। विष्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार कैंसर, हार्ट रोग, डायबिटीज एवं क्रोनिक ष्वांस रोग जैसी असंक्रमित बीमारियों से दुनिया में 2008 में 36 मिलियन लोग मौत की नींद सो गए। इनमें से अल्प एवं मध्यम आयवर्ग के 9 मिलियन लोगों की मौत 60 की उम्र से पहले हो गई जबकि इनको उचित उपचार से बचाया जा सकता था। यह बात स्वास्थ्य प्रबंधन, चुनौतियों एवं नवाचार पर आयोजित चार दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के अंतिम दिन उभरकर सामने आई। यह सम्मेलन यहां सांगानेर स्थित संस्थान में आईआईएचएमआर की ओर से आयोजित किया गया। इसमें 60 विषय विषेषज्ञों सहित पूरे देष से 600 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
असंक्रमित रोगों में फार्मास्युटिकल उद्योग की भूमिका पर राज्य के ड्रग नियंत्रक अषोक भंडारी की अध्यक्षता में आयोजित तकनीकी सत्र में फार्मास्युटिकल प्रॉडयूसर्स ऑफ इंडिया मुंबई के निदेषक डॉ. विवेक पडगांवकर, फोर्टिज हेल्थ केयर के नोडल कॉरपोरेट रिसोर्स प्रबंधन की डॉ. उषा गुप्ता, राज. फार्मास्युटिकल मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएषन के अध्यक्ष विनोद कालानी, मर्क लि. के निदेषक चेलिया पंडियान, एली लीली इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ गौरव आर्य आदि विषय विषेषज्ञों ने विचार रखे।
राजस्थान की निषुल्क दवा योजना की सराहना
सम्मेलन में देषभर से आए प्रतिनिधियों ने राजस्थान में लागू की गई निषुल्क दवा योजना की सराहना करते हुए कहा कि इस योजना से भारत के फार्मा उद्योग में बदलाव आया है। इससे फार्मा उद्योग की दवाओं की मांग बढी है और यह उद्योग नई रणनीति अपना रहा है।

राजस्थान मेडिकल सर्विस कॉरपोरेषन के डॉ. पी.सी. रांका ने बताया कि निषुल्क दवा योजना का लाभ पूरे प्रदेष की जनता को मिल रहा है। इस योजना में अब 600 दवाएं निषुल्क दी जा रही हैं। इस योजना से आमजन की बीमारी पर होने वाले खर्च की चिंता खत्म हुई है और मृत्यु दर में कमी आई है। इस योजना के तहत जुलाई 2013 तक 12.72 करोड लोग लाभान्वित हुए हैं। रोजाना दो लाख मरीज इस योजना का फायदा उठा रहे हैं।

क्लीनिकल ट्रायल पर चर्चा
सम्मेलन में भारत के क्लीनिकल रिसर्च कानून में किए गए हालिया संषोधन पर चर्चा के दौरान कहा गया कि इसके व्यापक असर सामने आएंगे जिससे दवाओं के परीक्षण के दौरान मृत्यु हादसे को रोका जा सके। क्लीनिकल ट्रायल के दौरान होने वाली मौत की जानकारी 24 घंटे में देना जरूरी हो गया है और बच्चों पर इस तरह के ट्रायल अभिभावक की सहमति के बिना नहीं किए जा सकते। सम्मेलन में इस बात पर चिंता जताई गई कि कठोर कानूनों से नई दवाओं के क्लीनिकल ट्रायल में कमी आ सकती है। इस तकनीकी सत्र में प्रो. डॉ. बी.पी. नागौरी, रमा गुप्ता, विपिन माथुर व साक्षी तिवारी ने प्रजेन्टेषन दिया।
सम्मेलन के दौरान यौनरोगों में कमी लाने के लिए युवाओं में जागरूकता बढाने पर चर्चा की गई। साथ ही सोषल नेटवर्क, इंटरनेट व ऑनलाइन चैनल्स के उपयोग का सुझाव दिया गया।
अंतिम दिन आयोजित विभिन्न तकनीकी सत्रों में आईआईएचएमआर के अकादमिक सलाहकार एस.के. पुरी, डॉ. सुनील बघेल, डॉ. बरूण कांजीवाल, डॉ. संतोष कुमार, फाइजर लि. के निदेषक विवेक धारीवाल, एएचपीआई के डीजी डॉ. गिरधर ज्ञानी, हॉस्मेक इंडिया के निदेषक डॉ. समीर मेहता, यूनिसेफ के स्वास्थ्य विषेषज्ञ डॉ. पवित्र मोहन, साकरा वर्ल्ड हॉस्पिटल के मानव संसाधन प्रमुख डॉ. एस.वी. किरण, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के डॉ. बयाकिषोर, दिल्ली हार्ट एंड लंग इंस्टीटयूट के सीओओ डॉ. सुनील के. क्षेत्रपाल, स्पर्ष नेफ्रो के निदेषक डॉ. गौरव पारवाल, एसजीपीजीआई लखनउ के डॉ. राजेष हर्षवर्धन आदि ने विषय विषेषज्ञ के रूप में चर्चा में भाग लिया। यूएनएफपीए के असिस्टेंट कंट्री डायरेक्टर डॉ. वेंकटेष श्रीनिवासन ने समापन सत्र को संबोधित किया।
कल्याणसिंह कोठारी
मो. 94140 47744

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